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Thursday, 24 April 2014

दीप्त रक्त मज्जा के ह्रदय में

How is it I can love You
within me,
yet see You from afar?
How is it I embrace You
within myself,
yet see You spread across the heavens?
You know. You alone.
You, who made this mystery,
You who shine
like the sun in my breast,
You who shine
in my material heart,
immaterially.
~ Symeon the New Theologianकैसे है की प्यार मर करता तुझे 
अपने ही अंदर 
देखता फिर भी दूरी से तुझे ?
कैसे है मैं गले लग जाता तेरे 
अपने ही अंदर 
देखता पर तुझे आसमा तक ?
जानते तुम . तुम ही केवल
तुम, हो जिसने रचा है तिलिस्म यह 
तुम हो जो चमकते 
सूर्य से मेरे ह्रदय में 
तुम हो जो दीप्त हो 
रक्त मज्जा के ह्रदय में 
पर रह संसार से 

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