It used to be
That when I would wake in the morning
I could with confidence say,
‘What am ‘I’ going to
Do?’
That was before the seed
Cracked open.
Now Hafiz is certain:
There are two of us housed
In this body,
Doing the shopping together in the market and
Tickling each other
While fixing the evening’s food.
Now when I awake
All the internal instruments play the same music:
‘God, what love-mischief can ‘We’ do
For the world
Today?’
होता था ऐसा अक्सर ,
जागता था जब सुबह ,
कह सकता था विशवास से ,
"क्या करने जा रहा हूँ ?"
ऐसा था जब तक नहीं फूटा था बीज।
जानता है अब यह हाफ़िज़ :
दो हैं हम रहते जो इस देह में ,
करते खरीदारी बाज़ार में और
गुदगुदाते एक दूजे को ,
तय करते शाम का भोजन जब।
जागता हूँ अब मैं
वाद्य उर के बजाते एक स्वर ;
ओ खुदाया , कौन सी शरारत प्यार में करेंगे
जहाँ के लिए
आज हम ?
~ Hafiz
—That when I would wake in the morning
I could with confidence say,
‘What am ‘I’ going to
Do?’
That was before the seed
Cracked open.
Now Hafiz is certain:
There are two of us housed
In this body,
Doing the shopping together in the market and
Tickling each other
While fixing the evening’s food.
Now when I awake
All the internal instruments play the same music:
‘God, what love-mischief can ‘We’ do
For the world
Today?’
होता था ऐसा अक्सर ,
जागता था जब सुबह ,
कह सकता था विशवास से ,
"क्या करने जा रहा हूँ ?"
ऐसा था जब तक नहीं फूटा था बीज।
जानता है अब यह हाफ़िज़ :
दो हैं हम रहते जो इस देह में ,
करते खरीदारी बाज़ार में और
गुदगुदाते एक दूजे को ,
तय करते शाम का भोजन जब।
जागता हूँ अब मैं
वाद्य उर के बजाते एक स्वर ;
ओ खुदाया , कौन सी शरारत प्यार में करेंगे
जहाँ के लिए
आज हम ?
~ Hafiz
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