videshikavita
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Wednesday, 7 August 2013
सारी सृष्टि लगती जैसे घर हो अपना ..
संतुष्टि रखो जहां भी हो: करो उत्सव उसका जो भी पास हो;लगे कुछ कमी नहीं ज़िंदगी में .. सारी सृष्टि लगती जैसे घर हो अपना ..
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