videshikavita
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Wednesday, 27 February 2013
खोजते आश्चर्य हैं जन,
हिमगिरि की हदों को में,
कभी सागर की लहर में,
कभी नदिया के किनारे,
कभी सिन्धु की तहों में,
कभी तारों के जगत् में,
पर गुजर जाते स्वयं से
बिना खोजे और जाने !
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