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Tuesday, 10 September 2013

बढ़ यात्रा पर पूर्णता की ......

The home we seek is in eternity;
The Truth we seek is like a shoreless sea,
Of which your paradise is but a drop.
This ocean can be yours; why should you stop
Beguiled by dreams of evanescent dew?...
The secrets of the sun are yours, but you
Content yourself with motes trapped in its beams.
Turn to what truly lives, reject what seems --
Which matters more, the body or the soul?
Be whole: desire and journey to the Whole.

~ Farid al-Din Attar
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खोजते जो आश्रय वह निहित अमरता में;
चाहते जिस सत्य को वह जैसे सिन्धु बिना तट,
स्वर्ग जिसका मात्र बिंदुएक है बस ...
उदधि तेरा हो सके; तू रुके क्यों ,
मोह में हो ग्रसित, ओस बिंदु के भला ?
 सूर्य के रहस्य तेरे ही अन्दर ,किन्तु तू
रहता उलझ धूलिकण जैसे  किरण में....
हो उन्मुख उस तरफ़  जो सत्य है ,त्याग जो भ्रम मात्र --
क्या अधिक मूल्यवान है भला,देह या फिर आत्मा ?
पूर्ण हो: चाह व बढ़ यात्रा पर पूर्णता की ......
 
 

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