ज़िंदगी क्या है भला गर प्यार न हो
क्या मैं खोजूँ इसे केवल खुदा में ?
या की दुनिया में , जिस्म में ?
न कभी पूछो ये सवाल खुद से
फर्क करके सोचोगे फर्क दिखेगा
प्यार ना तो नाम चाहे, न किस्म
न माईना कुछ,
प्यार खुद ही एक दुनिया ..
यातो तुम इसमें हो डूबे या नहीं हो
खोज में हो ..
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